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इमेज कैप्शन,अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के बीच उड़ान भरने वाली फ़्लाइट AI171 टेकऑफ़ के महज़ तीस सेकंड के अंदर क्रैश हो गई
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8 घंटे पहले
बीती 12 जून को गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का एक विमान हादसे का शिकार हो गया. हादसा इतना भयावह था कि विमान में सवार केवल एक ब्रिटिश यात्री को छोड़कर सभी लोगों की मौत हो चुकी है.
मारे गए लोगों में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल हैं.
देश के नागरिक विमानन यानी सिविल एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू किंजरापु ने कहा है कि हादसे की जांच शुरू कर दी गई है.
उन्होंने एक्स पर लिखे एक पोस्ट में कहा है कि इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजे़शन (आईसीएओ) के निर्धारित इंटरनेशनल प्रोटोकॉल के तहत एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) ने हादसे की औपचारिक जांच शुरू कर दी है. उन्होंने कहा, "इसके अलावा, सरकार इस मामले की विस्तृत जांच के लिए कई विषयों के विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर रही है. यह समिति विमानन सुरक्षा को मज़बूत करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए काम करेगी."
अहमदाबाद में एयर इंडिया का जो विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ वो बोइंग का 787-8 ड्रीमलाइनर था और इसमें 242 लोग सवार थे. इनमें बड़ी संख्या विदेशी यात्रियों की भी थी.
एयर इंडिया के मुताबिक़ 242 लोगों में से 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, एक कनाडाई और सात डच नागरिक थे.
ऐसे में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने बताया है कि विमान हादसे की जांच में सहयोग के लिए ब्रितानी जांचकर्ताओं का दल भी अहमदाबाद पहुंच गया है.
वहीं अमेरिका में विमान हादसों की जांच करने वाली संस्था नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ़्टी बोर्ड की एक टीम भी भारत पहुंच चुकी है. उन्होंने भी विमान हादसे से जुड़ी जांच में भारतीय एजेंसियों की मदद करने की बात कही है.
लेकिन भारत में ये कोई पहला विमान हादसा नहीं है और न ही पहली बार किसी हादसे की जांच हो रही है, इसके बावजूद कम लोग ही जानते हैं कि भारत में विमान हादसों की जांच की ज़िम्मेदारी किसकी है और इसकी प्रक्रिया क्या है?
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इमेज कैप्शन,अहमदाबाद में विमान एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की बिल्डिंग से टकराया था
तो भारत में विमान हादसों की जांच एएआईबी यानी एयरक्राफ़्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो करती है.
एएआईबी जांच अधिकारियों की एक टीम गठित करती है और यही टीम हादसे की जांच करती है.
लेकिन विमानन विशेषज्ञ मीनू वाडिया बताते हैं कि जांच में वो सभी संस्थाएं भी शामिल हो सकती हैं, या उन्हें शामिल किया जा सकता है, जो इस हादसे में प्रभावित हुई हैं.
वो कहते हैं, ''अहमदाबाद में जिस विमान का हादसा हुआ उसकी निर्माता कंपनी बोइंग है इसलिए बोइंग को भी जांच में शामिल किया जाएगा, विमान में बड़ी संख्या ब्रिटिश यात्रियों की थी इसलिए ब्रिटेन की एजेंसी एयर एक्सिडेंट्स इनवेस्टिगेशन ब्रांच भी इसमें शामिल हो रही है.''
''पर उनकी भूमिका केवल जांच से जुड़ी बातचीत और बैठकों में शामिल होने तक ही सीमित होगी, ज़्यादा से ज़्यादा वो अपने सुझाव दे सकते हैं. जांच करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, वो केवल एएआईबी के चुने गए अधिकारी ही कर सकते हैं.''
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इमेज कैप्शन,भारत में विमान हादसों से जुड़ी जांच के लिए एएआईबी यानी एयरक्राफ़्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ज़िम्मेदार होती है
जांच में किन-किन बिंदुओं का ध्यान रखा जाएगा, ये तो केस टू केस निर्भर करता है लेकिन कुछ चीज़ें हैं जो हर जांच प्रक्रिया में आम है.
जैसे- सबसे पहले हादसे की जगह को घेरकर उसे सुरक्षित कर लिया जाता है. फिर ब्लैक बॉक्स, जो कि जांच की सबसे अहम कड़ी है, उसे बरामद किया जाता है.
ब्लैक बॉक्स फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर होता है जिसमें उड़ान के दौरान पायलट और नियंत्रण कक्ष के बीच रिकॉर्ड हुई बातचीत का ब्यौरा होता है.
फिर सबूत इकट्ठा किए जाते हैं. इसके लिए विमान के मलबे की जांच की जाती है.
साथ ही रडार डेटा, रख-रखाव की रिपोर्ट, एटीसी यानी पायलट और एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल की बातचीत की रिकॉर्डिंग, मौसम की जानकारी और सुरक्षा कैमरों की फ़ुटेज को जांचा जाता है.
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इमेज कैप्शन,अहमदाबाद में विमान हादसे के बाद घटनास्थल पर एयर इंडिया के सीईओ कैम्पबेल विल्सन भी पहुंचे थे
जांचकर्ता विमान हादसे में बचे लोगों, एयर ट्रैफ़िक कंट्रोलर, एयरलाइन की देखरेख से जुड़े स्टाफ़, प्रत्यक्षदर्शी आदि से बातचीत करके भी क्रैश के संभावित कारणों का पता लगाने की कोशिश करते हैं.
फ़ॉरेंसिक जांच भी एक बेहद अहम कड़ी है. जैसे- पायलट या चालक दल के सदस्यों के शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है ताकि किसी तरह की मेडिकल संबंधी समस्या, या नशे की गिरफ़्त में होने का पता लगाया जा सके.
वहीं एयरक्राफ़्ट के पार्ट्स यानी हिस्सों की भी जांच की जाती है.
इन शुरुआती जांचों के बाद ही जांचकर्ताओं की टीम का गठन किया जाता है.
मीनू वाडिया के मुताबिक़, इस टीम में डॉक्टर्स, मनोचिकित्सक, इंजीनियर्स, पायलट्स, एविएटर्स और कुछ अन्य विशेषज्ञ शामिल होते हैं.
ये सभी हादसे के हर पहलू की जांच करते हैं.
जांच पूरी हो जाने के बाद एएआईबी इससे जुड़ी रिपोर्ट सार्वजनिक करती है और ये इसे अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करती है.
जांच की फ़ाइनल रिपोर्ट आईसीएओ को भी भेजी जाती है और उन सभी पक्षों को भी भेजी जाती है जो इस जांच में शामिल थे.
हादसे की जांच के बाद जो भी सुरक्षा से जुड़े सुझाव दिए जाते हैं, उन्हें डीजीसीए और आईसीएओ (इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजे़शन) में शामिल देशों के उड्डयन विभागों को भेजा जाता है, ताकि वे उन्हें लागू करें और भविष्य में ऐसे हादसे न हों, इसके लिए क़दम उठाएं.
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इमेज कैप्शन,आईसीएओ अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्राओं के प्रबंधन में मदद करता है
दरअसल, साल 1944 में अमेरिका के शिकागो में दुनियाभर के 52 देशों में एक अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन समझौता हुआ. इस समझौते के तहत इन देशों (जिनमें भारत भी शामिल था) में एक आम राय बनी कि वो अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्राओं को महफ़ूज़ और शांतिपूर्ण बनाने के लिए कुछ नियम बनाएंगे.
ये नियम एयरस्पेस के इस्तेमाल, सुरक्षा मानक, एयरक्राफ़्ट के रजिस्ट्रेशन, कस्टम और इमीग्रेशन की प्रक्रिया से जुड़े हुए थे और इनका पालन समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हर देश को करना था.
इस समझौते के बाद संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी आईसीएओ यानी अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन की स्थापना हुई, जो आज भी मौजूद है और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्राओं के प्रबंधन में मदद करता है.
आईसीएओ की स्थापना से पहले यानी साल 1944 से पहले भारत में विमान हादसे से जुड़े मामलों की जांच इंडियन एयरक्राफ़्ट एक्ट, 1934 के तहत होती थी.
तब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था. फिर जब शिकागो कन्वेंशन हुआ और भारत आईसीएओ के संस्थापक सदस्यों में से एक बना तब संगठन के तय किए गए मानकों के आधार पर काम होना शुरू हुआ.
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इमेज कैप्शन,डीजीसीए भारत में नागरिक हवाई उड़ानों से जुड़े नियमों और सुरक्षा की देखरेख करता है
भारत ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक राष्ट्रीय नागरिक विमानन प्राधिकरण का गठन किया. जिसे डीजीसीए यानी नागर विमानन महानिदेशालय के रूप में जाना जाता है.
डीजीसीए भारत में नागरिक हवाई उड़ानों से जुड़े नियमों और सुरक्षा की देखरेख करता है. पायलट और इंजीनियरों को लाइसेंस मुहैया कराना, एयरलाइंस को परमिट देना, विमान उड़ान भरने लायक हैं या नहीं ये सुनिश्चित करना, हवाई यात्रा से जुड़े नियम और दिशानिर्देश बनाना, आईसीएओ के मानकों के अनुसार काम हो रहा है या नहीं - ये सबकुछ सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी डीजीसीए की है.
साल 2012 तक डीजीसीए विमान हादसों की जांच भी किया करता था. पर चूंकि डीजीसीए ख़ुद नियम बनाता था और हादसे की जांच भी करता था इसलिए उसकी निष्पक्षता को लेकर सवाल उठते थे.
आईसीएओ के नियम कहते हैं कि विमान हादसों की जांच एक स्वतंत्र संस्था करे, जो न तो एयरलाइन से जुड़ी हो और न रेगुलेटर हो.
यही कारण है 2012 में भारत सरकार ने एयरक्राफ़्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो का गठन किया. ताकी विमान हादसों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो सके.
Play video, "अहमदाबाद शवों की पहचान के लिए परिजनों के डीएनए लिए जा रहे", अवधि 4,12
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वीडियो कैप्शन,अहमदाबाद शवों की पहचान के लिए परिजनों के डीएनए लिए जा रहे
लेकिन अभी भी कई विशेषज्ञ एयरक्राफ़्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हैं.
मीनू वाडिया ने भी बीबीसी से बात करते हुए कहा कि 'भले ही एएआईबी के निदेशक ये दावा करते हैं कि वो एक स्वतंत्र बॉडी है और पूरी तरह निष्पक्ष है लेकिन हक़ीक़त यही है कि ये संस्था अभी भी भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन है. इसलिए न तो इस संस्था को और न ही इनकी जांच रिपोर्ट को पूरी तरह निष्पक्ष ठहराया जा सकता है.'